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3 October 2017

1801 - 1805 दिल प्यार जज्बात मजाक निग़ाह हमसफ़र हादसे चौराहे नशा दर्द सच्चे प्यार सज़ा शायरी


1801
कभी किसीके जज्बातोंका,
मजाक मत बनाना दोस्तो...
ना जाने कौनसा दर्द लेकर,
"कोई जी रहा होगा..."

1802
कोई कहता हैं, प्यार नशा बन जाता हैं!
कोई कहता हैं, प्यार सज़ा बन जाता हैं!
पर प्यार करो अगर सच्चे दिलसे,
तो वो प्यार ही जीनेकी वजह बन जाता हैं...!

1803
यूँ न निग़ाहोंसे निग़ाह,
मिला......ए हमसफ़र...
हादसे अक़्सर इसी,
चौराहेपर होते हैं....

1804
बग़ैर जिसके एक पलभी,
गुज़ारा नहीं होता l
सितम देखिये,
दिलमें रहेकर भी,
हीं शख़्स
हमारा नहीं होता... l l

1805
एक फ़क़ीर हूँ मैं अपना अंदाज...
औरोंसे जुदा रखता हूँ
लोग मंदिर मस्जिदोंमें जाते हैं,
मैं अपने दिलमें खुदा रखता हूँ...!