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18 October 2016

644 मुद्दत रोक जुबा नमकीन आवारा कमबख्त लफ्ज़ रुसवा शायरी


644

Rooswa, Contempt

मुद्दतसे दबाके रखा था,
अब बेरोक जुबापें आते हैं !
थोड़े नमकीन, थोड़े आवारासे,
कमबख्त, ये लफ्ज़ रुसवा कर जाते हैं !

For Years it was Suppressed,
Now comes to Tongue as Uncontrolled !
Some Salty, Some like Roving,
Damned, These Words makes Contempt !