7306
कहाँ आके रुकने थे रास्ते,
कहाँ मोड़ था, उसे भूल जा...
वो जो मिल गया उसे याद रख,
जो नहीं मिला, उसे भूल जा...
अमजद इस्लाम अमजद
7207मुस्कुराते पलकोंपें सनम चले आते हैं,आप क्या जानो कहाँसे हमारे गम आते हैं...आज भी उस मोड़पर खड़े हैं जहाँ,किसीने कहा था कि ठहरो हम अभी आते हैं...
7308
ज़िंदगीके वो,
किसी मोड़पें गाहे गाहे,
मिल तो जाते हैं, पर...
मुलाक़ात कहाँ होती हैं...
अहमद राही
7309हर मोड़पें मिल जाते हैं,हमदर्द हजारों...शायद हमारी बस्तीमें,अदाकार बहुत हैं.......!
7310
मुसाफ़िर हैं हम भी,
मुसाफ़िर हो तुम भी...
किसी मोड़पर फिर,
मुलाक़ात होगी.......
बशीर बद्र