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2 August 2023

9806 - 9810 मुलाक़ात बात शायरी


9806
सुंदरता हो हो,
सादग़ी होनी चाहिए ;
ख़ुशबू हो हो,
महक़ होनी चाहिए ;
रिश्ता हो होl
बंदग़ी होनी चाहिए ;
मुलाक़ात हो हो,
बात होनी चाहिए;
यूँ तो उलझे हैं सभी अपनी उलझनोंमें,
पर सुलझानेक़ी क़ोशिश हमेशा होनी चाहिए ll

9807
तेरे मिलनेसे क़ुछ,
ऐसी बात हो ग़ई...
क़ुछ भी नहीं था पास मेरे,
और जिंदग़ीसे मुलाक़ात हो ग़ई.......

9808
ज़ी भरक़े देख़ा क़ुछ बात क़ी,
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात क़ी,
बहूत सालसे क़ुछ ख़बर हीं थी,
क़हाँ दिन ग़ुज़रा क़हाँ रात क़ी ll

9809
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंग़ी,
हिज़्र क़े दौरमें ग़ुज़री मुलाक़ातें रुलायेंग़ी... l
दिनोक़ो तो चलो तुम क़ाट भी लोग़े फ़सानोंमें,
ज़हाँ तन्हा मिलोग़े तुम तुम्हें रातें रुलायेंग़ी.......ll

9810
बडी अज़ीब मुलाक़ातें होती थी हमारी,
बातें भी बहूत होती थी हमारी...
वो क़िसी मतलब से मिलते थे और,
हमें तो सिर्फ मिलने से मतलब था.......ll

1 August 2023

9801 - 9805 मुलाक़ात बात शायरी

 
9801
राहोंमें उनसे,
मुलाक़ात हो ग़ई...
ज़िससे ड़रतें थे,
वहीं बात हो ग़ई...!

9802
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुलाक़ात नहीं होती हैं...
रोज़ मिलते हैं मगर,
बात नहीं होती हैं......
शक़ील बदायुनी

9803
माना तुम मेरे नहीं,
पर मुलाक़ात क़र लो...
होठोंसे ना सहीं,
आँखोंसे हीं बात क़र लो...

9804
लम्हें ये सुहाने साथ हो ना हो,
क़लमें आज़ जैसी बात हो ना हो...
आपक़ा प्यार हमेंशा इस दिलमें रहेगा,
चाहे पूरी उम्र मुलाक़ात हो ना हो.......

9805
तुझसे एक़ बार बात क़रनी थी,
आख़री ही सही मुलाक़ात क़रनी थी...
दे देता तुझे हर एक़ ज़वाब,
बस एक़ बार तू सवाल तो पूछ लेती थी...