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9 June 2016

232 मुस्कुरा गुज़र लाख समझा दुनियाँ शक आदत शायरी


232

आदत, Habit

लाख समझाया उसको,
की दुनियाँ शक करती हैं...
मगर उसकी आदत नहीं गयी,
मुस्कुराकर गुज़रनेकी...

I explained her many times,
That people Suspect,
She could not let go...
Her Habit of Smiling while moving...