1976
चलो फ़िरसे मुस्कुराते हैं …
बिना माचिससे लोगोंको जलाते हैं .......
1977
अल्फ़ाज़ ढूँढनेकी,
ज़रूरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे बे-हिसाब ख्यालोंने...
बे-तहाशा लफ्ज़ दिए.......
1978
माँगनेसे मिल जाय़े
तो मौत कैसी...
बिना बरबाद हुए मीले
वो मोहब्बत कैसी.......
1979
सुना हैं बारिशमें,
दुआ क़बूल होती हैं...
अगर हो इजाजत तो...
माँग लूँ तुम्हे.......!
1980
हजार महफिले हैं,
लाख मेले हैं,
पर तू जहाँ नहीं
हम अकेले ही अकेले हैं !!