4756
फैला रखा हैं रंग-ऐ-इश्क़,
आसमाँने आज...
लगता हैं तूने
फिरसे,
आँचल
लहराया हैं.......!
4757
एक सहर गुलाबी
सी,
तेरी बाँहोंमें यूँ पिघले...
तेरे इश्क़से ताबिन्दा,
मेरे आठों
पहर निकलें...!
4758
सुनाऊ तो कैसे
सुनाऊ,
इश्क़की कहानी
हैं...
मैने जी है
हर साँस मोहब्बतकी,
चंद लब्जोमें बतानी
हैं.......!
4759
मेरा इश्क़, फ़क़ीरी
मेरी...
तेरा इश्क़, ख़जाना
मेरा...!
4760
लफ्ज़ लफ्ज़ उसकी यादोका,
मेरे ज़हनमें दर्ज हैं...
उसका इश्क़ ही इलाज
हैं,
उसका इश्क़
ही मेरा मर्ज़
हैं...!