Showing posts with label मोहब्बत वक़्त फितरत वज़ह कफ़न नाराज़ शायरी. Show all posts
Showing posts with label मोहब्बत वक़्त फितरत वज़ह कफ़न नाराज़ शायरी. Show all posts

31 March 2021

7341 - 7345 मोहब्बत वक़्त फितरत वज़ह कफ़न नाराज़ शायरी

 

7341
मुझे तो तुमसे नाराज़,
होना भी नहीं आता...
 ज़ाने तुमसे कितनी,
मोहब्बत कर बैठा हूँ मैं...!!!

7342
तुझसे नहीं,
तेरे वक़्तसे नाराज़ हूँ;
जो कभी तुझे,
मेरे लिए नहीं मिला ll

7343
मेरी फितरतमें नहीं हैं,
किसीसे नाराज़ होना...
नाराज़ वो होतें हैं जिन्हें,
अपने आपपर गुरूर होता हैं...!

7344
मुझको छोङनेकी,
वज़ह तो बता देते...l
मुझसे नाराज़ थे, या...
मुझ जैसे हज़ारों थे.......?

7345
मुझसे नाराज़ हो,
कहीं भी खुदको रख लूँगा;
तरसोगे एक दिन जब,
कफ़नसे खुदको ढक लूँगा...ll