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27 November 2025

10061 - 10065 मोहब्बत शौक़ दिल लहू रंग हया ताज़ा ख़याली रुख़ ग़म-ए-जानाँ नक़्श तस्वीर शायरी

 
10061
इक मोहब्बतकी,
ये तस्वीर हैं दो रंगोंमें...
शौक़ सब मेरा हैं और,
सारी हया उसकी हैं...ll
                                जावेद अख़्तर

10062
मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ,
दिलके लहूसे...
लेकिन तिरी तस्वीर,
ख़याली ही रहेगी ll
ज़ेब ग़ौरी

10063
हम हैं उसके,
ख़यालकी तस्वीर...
जिसकी तस्वीर हैं,
ख़याल अपना...
                        फ़ानी बदायुनी

10064
कह रही हैं,
ये तिरी तस्वीर भी;
मैं किसीसे,
बोलनेवाली नहीं...
नूह नारवी

10065
तस्वीरके दो रुख़ हैं,
जाँ और ग़म-ए-जानाँ...
इक नक़्श छुपाना हैं,
इक नक़्श दिखाना हैं......
                          जिगर मुरादाबादी