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27 November 2018

3586 - 3590 मौजूद ग़म शराब काफिर ख़ुदा जन्नत मजा शायरी


एक ही विषय पर 5 शायरोंका अलग नजरिया...
आप उर्दू शायरीकी महानताकी दाद देनेपर मज़बूर हो जाएंगे.....

1- मिर्झा ग़ालिब: 1797-1869

3586
"शराब पीनेदे मस्जिदमें बैठकर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"

इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद क़बालने दिया.....

2- मोहम्मद इक़बाल: 1877-1938

3587
"मस्जिद ख़ुदाका घर हैं, पीनेकी जगह नहीं ,
काफिरके दिलमें जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"

इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फ़राज़ने दिया.....

3- अहमद फ़राज़: 1931-2008

3588
"काफिरके दिलसे आया हूँ मैं ये देखकर,
खुदा मौजूद हैं वहाँ, पर उसे पता नहीं।"

इसका जवाब सालों बाद वसी शाहने दिया.....

4- वसी शाह: 1976

3589
"खुदा तो मौजूद दुनियाँमें हर जगह हैं,
तू जन्नतमें जा वहाँ पीना मना नहीं।"

वसी साहबकी शायरीका जवाब साकीने दिया......

5- साकी: 1986-2018

3590
"पीता हूँ ग़म--दुनियाँ भुलानेके लिए,
जन्नतमें कौनसा ग़म हैं इसलिए वहाँ पीनेमें मजा हीं"