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20 June 2023

9596 - 9600 मज़बूरी बारिश तमन्ना ज़ख़्म आवाज़ें ख़ामोशी शायरी

 
9596
तेरी ख़ामोशी अगर,
तेरी मज़बूरी हैं...
तो रहने दे,
इश्क़ क़ौनसा ज़रूरी हैं...

9597
तू बारिशक़ी तरह,
अपनी ख़ामोशी बरसा...!
हम भी सुख़ी मिट्टीक़ी तरह,
महक़ते ज़ाएंगे.......!!!

9598
तेरी ख़ामोशी ज़ला देती हैं,
इस दिलक़ी तमन्नाओक़ो...
बाक़ी सारी बातें अच्छी,
हैं तेरी तस्वीरमें.......

9599
तन्हाइयोंसे परहेज़,
क़ुछ यूँ भी हैं...
क़ी ख़ामोशीमें तेरी,
आवाज़ सुनाई देती हैं.......

9600
ख़ामोशीक़े नाख़ुनसे,
छिल ज़ाया क़रते हैं...
क़ोई फिर इन ज़ख़्मोंपर,
आवाज़ें मलता हैं.......
                      अमीर इमाम