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4 August 2016

470 याँद बंद लौट आखिर थक हार बाज़ार ताले शायरी


470

Tale, Locks

आखिर थक हारके,
लौट आये हम बाज़ारसे...
याँदोंको बंद करनेके ताले,
कहीं मिले नहीं......

Finally I returned back,
From Market, Tired and Lost...
Lock was not available,
To close the Memories......