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19 July 2019

4506 - 4510 याद नसीब अकेले रिश्ते गिला दूरी चाहत शायरी


4506
प्यार तो सिर्फ प्यार हैं,
क्या पुरा क्या आधा...
दोनोंकी ही चाहत बेमिसाल,
क्या मीरा क्या राधा.......!

4507
नींदें छीन रखी हैं,
यादोंने तेरी...
गिला तेरी दूरीसे करें,
या अपनी चाहतसे...!

4508
मेरी हर चाहतमें हरदम...
तेरा ही नाम होगा !
तू नही मिला मुझे...
शायद मेरा नसीब ही बद-नसीब होगा...

4509
एक चाहत होती हैं, जनाब...
अपनोंके साथ जीनेकी...
वरना पता तो हमें भी हैं कि;
ऊपर अकेलेही जाना हैं.......!

4510
कितने अनमोल होते हैं,
ये यादोंके रिश्ते भी...
कोई याद ना भी करे,
चाहत फिर भी रहती हैं.......!