Showing posts with label याददाश्त कमजोर बात बेचैन तड़प शायरी. Show all posts
Showing posts with label याददाश्त कमजोर बात बेचैन तड़प शायरी. Show all posts

17 October 2017

1846 - 1850 दिल फर्ज कदम मिट्टी निशाँ बेवफ़ाई ग़म हालात जुदाई सज़ा उम्र तन्हाई ताना शायरी


1846
दुपट्टा भी अपना फर्ज,
निभा रहा हैं...
कोई चूम ना ले तेरी कदमोंकी मिट्टी,
शायद इसके निशाँ मिटा रहा हैं.......!

1847
चीज़ बेवफ़ाईसे बढ़कर, क्या होगी...
ग़म-ए-हालात, जुदाईसे बढ़कर क्या होगी...
जिसे देनी हो सज़ा, उम्रभरके लिए,
सज़ा तन्हाईसे बढ़कर, क्या होगी...

1848
याददाश्तका कमजोर होना,
इतनी भी बुरी बात नहीं,
बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग,
जिन्हें हर बात याद रहती हैं...!

1849
घर बनाकर मेरे दिलमें,
वो चली गई हैं,
ना खुद रहती हैं,
ना किसी औरको बसने देती हैं...

1850
ये हवा भी अब,
ताना मारने लगी...!
कि तुम तड़पते रह गए,
और मैं उन्हें छू आई...!