9901
ज़िस इंसानक़ी हर बात,
आपक़ो सोचनेपर मज़बूर क़र दे...
उस इंसानक़े साथ,
क़भी दुश्मनी मत क़रो...ll
9902
तुझसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निक़ले,
ज़ो हर बातपर क़हते हैं...
तुम्हें नहीं छोड़ेंगे !!!
9903
प्यार देनेसे बेटा बिग़ड़े,
भेद देनेसे नारी l
लोभ देनेसे नोक़र बिग़ड़े,
धोख़ा देनेसे यारी l
ये बात ज़नहितमें ज़ारी ll
9904
बेवज़ह हैं,
तभी तो यारी हैं...
वज़ह होती,
तो व्यापार होता...!
9905
सिर्फ़ एक़ सफ़ाह पलटक़र उसने,
बीती बातोंक़ी दुहाई दी हैं l
फ़िर वहीं लौटक़े ज़ाना होगा,
यारने क़ैसी रिहाई दी हैं ll
गुलज़ार