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28 December 2018

3686 - 3690 दिल मोहोब्बत खुशबू अजनबी उम्मीद तमन्ना तबाही वाकिफ़ खबर सजा इरादा उजाले शायरी


3686
खुशबू हवाकी चुपकेसे,
कानोंमें कह गई...
पास तो नहीं हो मगर,
दिलमें बसे हो तुम...!

3687
दिल चाहता हैं कि फ़िर,
अजनबी बनकर देखें...
तुम तमन्ना बन जाओ,
हम उम्मीद बनकर देखें...!

3688
मेरे दिलसे निकलनेका,
रास्ता ढूंढ सके तुम...
और कहते थे तुम्हारी,
रग रगसे वाकिफ़ हैं हम...

3689
सारे शहरको इस बातकी
खबर हो गयी...
क्यो ना सजा दे
इस कमबख्त दिलको...
दोस्तीका इरादा था
और मोहोब्बत हो गयी...!

3690
रास्ते खुद ही तबाहीके निकाले हमने,
कर दिया दिल किसी पत्थरके हवाले हमने;
हाँ मालूम हैं क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो...
अपना ही घर जलाकर देखें हैं उजाले हमने।