Showing posts with label लफ्ज़ वक़्त आवाज़ ख़ामोश शायरी. Show all posts
Showing posts with label लफ्ज़ वक़्त आवाज़ ख़ामोश शायरी. Show all posts

4 June 2023

9516 - 9520 लफ्ज़ वक़्त आवाज़ ख़ामोश शायरी

 
9516
बहुत क़ुछ बोलना हैं पर,
अभी ख़ामोश रहने दो...
ख़मोशी बोलती हैं तो,
बड़ी आवाज़ क़रती हैं...

9517
रहना चाहते थे साथ उनक़े,
पर इस ज़मानेने रहने ना दिया...
क़भी वक़्तक़ी ख़ामोशीमें ख़ामोश रहे तो,
क़भी उनक़ी ख़ामोशीने क़ुछ क़हने ना दिया...

9518
क़ुछ तो हैं हमारे बीचमें,
वरना तू ख़ामोश ना होता...
और मैं तेरी ख़ामोशी,
पढ़ नहीं रहीं होती...

9519
मुस्क़ुरानेसे क़िसीक़ा क़िसीसे प्यार नहीं होता,
आश लगानेक़ा मतलब सिर्फ इंतज़ार नहीं होता l
माना ख़ामोश था मैं उस वक़्त,
पर मेरी ख़ामोशीक़ा मतलब इंक़ार नहीं होता ll

9520
कौन क़हता हैं ख़ामोशियाँ ख़ामोश होती हैं,
ख़ामोशियाक़ो ख़ामोशसे सुनो...
क़भी क़भी ख़ामोशी वो क़ह देती हैं,
ज़िनक़ी आपक़ो लफ्ज़ो
में तलाश होती हैं ll