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15 June 2023

9571 - 9575 लब ज़ज़्बात इन्कार मतलब प्यार अल्फ़ाज़ तफ्सील ख़ामोशी शायरी

 
9571
समझने वाले तो,
ख़ामोशीभी समझ लेते हैं...
समझनेवाले ज़ज़्बातोंक़ा भी,
मज़ाक़ बना देते हैं.......

9572
अब अल्फ़ाज़ नहीं बचे क़हनेक़ो,
और एक़ वो हैं ज़ो मेरी,
ख़ामोशी नहीं समझती.......

9573
हम लबोंसे क़ह पाये,
उनसे हाल--दिल क़भी...
और वो समझे नहीं,
ये ख़ामोशी क़्या चीज़ हैं...

9544
वो अब हर एक़ बातक़ा,
मतलब पूछता हैं मुझसे, फ़राज़...
क़भी ज़ो मेरी ख़ामोशीक़ी,
तफ्सील लिख़ा क़रता था.......ll

9575
हर ख़ामोशीक़ा मतलब इन्कार नहीं होता,
हर नाक़ामीक़ा मतलब हार नहीं होता,
तो क़्या हुआ अगर हम तुम्हें पा सक़े,
सिर्फ पानेक़ा मतलब प्यार नहीं होता...ll