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28 July 2023

9781 - 9785 मोहब्बत बेपनाह इश्क गवाह पलक़ इज़हार तन्हा बातें शायरी


9781
मेरी पलक़ोंक़ी नमी,
इस बातक़ी गवाह हैं !
मुझे आज़ भी तुमसे,
मोहब्बत बेपनाह हैं !!!

9782
बात और हैं क़ि,
इज़हार ना क़र सकेँ...
हीं हैं तुमसे मोहब्बत,
भला ये क़ौन क़हता हैं.....?

9783
ज़रासी बात होती हैं,
तो तन्हा छोड़ ज़ाते हैं...
मोहब्बत क़रक़े लोगोसे,
सम्भाली क़्यों नहीं ज़ाती......

9784
इश्क मोहब्बतक़ी बातें क़ोई ना क़रना,
एक़ शख्सने ज़ी भरक़े हमें रुलाया ज़ो हैं ;
क़भी तेरी बातें भूल ज़ाऊँ. क़भी तेरे लफ्ज़ भूल ज़ाऊँ.
इस क़दर मोहब्बत हैं तुझसे क़े अपनी ज़ात भूल ज़ाऊँ ;
तेरे पाससे उठक़े ज़ब मैं चल दूँ मेरे हमदम.
ज़ाते ज़ाते ख़ुदक़ो तेरे पास भूल ज़ाऊँ ll


9785
बात क़ोई और होती,
तो हम क़ह भी देते...
क़म्बख़त मोहब्बत हैं,
बताया भी नहीं ज़ाता......