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22 November 2017

1991 - 1995 दिल मोहब्बत ज़िन्दगी कश्मकश तमाशा तालियाँ तसव्वुर आरज़ू यादें तमन्ना शौक बेताबी चीजें शायरी


1991
दिलमें भी एक बार,
उलट-पलट हो जानी चाहिए,
क्या पता नीचे दबे कुछ
अपने खास लोग मिल जाए !!

1992
हम दिखाते रहें
कश्मकश ज़िन्दगीकी...
लोग तमाशा समझकर
तालियाँ बजाते रहें...

1993
तसव्वुर, आरज़ू, यादें,
तमन्ना, शौक-ए-बेताबी;
ये सब चीजें तुम्हारी हैं,
तुम आकर छीनलो मुझसे !!!

1994
कभी कभी इतनी शिद्दतसे,
उसकी याद आती हैं कि...
मैं पलकोंको मिलाता हूँ,
तो आँखे भीग जाती हैं.......

1995
एहसास तो बहुत हैं उनको भी,
मेरी मोहब्बतका,
वो तड़पाते इसलिए हैं कि,
मैं और भी टूट कर चाहूं उन्हें ...!