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7 December 2016

819 शिकायत भूल काबिल शायरी


819

Kabil, Worth

शिकायत रबसे करता हूँ...
की तुम मिलते नहीं मुझको,
मगर खुदको तेरे काबिल बनाना...
रोज भूल जाता हूँ मैं

I make Complaint always to Lord...
That you never meet me.
But I always forget...
To make myself Worth of You.

818 शिकायत भूल काबिल शायरी


818

Pahechan, Identity

कर्मोसे ही पहेचान होती हैं,
इंसानों की
अच्छे कपड़े तो,
बेजान पुतलोंको भी पहनाये जाते हैं…ll

Act is the Identity 
Of A Human...
Mannequins are also 
Wear Beautiful cloths...