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3 November 2016

691 संवर निखर शौक आईना शायरी


691

Aayina, Mirror

वैसे तो संवरनेका शौक,
हमे नहीं था मगर...
आप सामने बैठे,
आईना बनकर...
तो निखरतें गये हम......

That way I was not fond of
Beatify myself but...
You being in front of me,
Like a Mirror...
I am getting Sparkled.......