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2 August 2019

4561 - 4565 सजदा मोहब्बत मुस्कुरा नजर शराब गुफ्तगू रिश्ते बात धड़कन उसूल शौक नाम शायरी


4561
सजदा कहूँ या,
कहूँ इसे मोहब्बत...
तेरे नामका अक्षर भी,
मैं मुस्कुराकर लिखता हूँ...!

4562
नाम तेरा लिखा,
तो उंगलियाँ गुलाब हुई...
हुई नजरोंसे गुफ्तगू,
तो अखियाँ शराब हुई...!

4563
रिश्ता नहीं हैं,
दोनोंको फिर भी बांधे कोई डोर हैं;
इसको क्या नाम दे हम,
यह बात कुछ और हैं...!

4564
हर किसीके नामसे,
तेज हीं होती...
धड़कनके भी कुछ,
उसूल होते हैं.......!

4565
गुनगुनाती हो,
छुपके मेरा नाम...
शौक तुम भी,
क्या लाजवाब रखती हो...!