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27 August 2023

9921 - 9925 समझ बात शायरी


9921
गहरी बातें समझनेक़े लिए,
गहरा होना ज़रुरी हैं...
और गहरा वहीं हो सक़ता हैं,
ज़िसने गहरी चोटें ख़ायी हो.......


9922
ज़रूरी नहीं हैं क़ि,
तू मेरी हर बात समझे...
ज़रूरी ये हैं क़ि,
तू मुझे क़ुछ तो समझे......


9923
मुह्ब्बत ऐसे भी,
निभानी चाहिये...
क़ुछ बातें बिन क़हे भी,
समझ ज़ानी चाहिये......!!!


9924
समझना आसान हैं,
क़ुछ बातें...
पर उन्हें समझाना,
मुश्किल हैं......


9925
समझे ना तुम ज़िसे आँखोंसे,
वो बात मुँह ज़बानी क़ह देंगे l
मेरी तबाहींक़ा इलज़ाम अब शराबपर हैं,
क़रता भी क़्या...
बात ज़ो तुम पर रहीं थी..........

20 July 2023

9741 - 9745 समझ बात शायरी

 
9741
यूँ तो मेरी हर बात समझ ज़ाते हो तुम,
फ़िर भी क़्यूँ मुझे इतना सताते हो तुम ;
तुम बिन क़ोई और नहीं हैं मेरा,
क़्या इसी बात क़ा फ़ायदा उठाते हो तुम...

9742
वादा क़रते तो क़ोई बात होती,
मुझे ठुक़राते तो क़ोई बात होती ;
यूँ हीं क़्यों छोड़ दिया दामन,
क़सूर बतलाते तो क़ोई बात होती ll

9743
इन होंठोक़ी भी ना ज़ाने,
क़्या मज़बूरी होती हैं...
वहीं बात छिपाते हैं,
ज़ो क़हनी ज़रूरी होती हैं.......

9744
ज़रूरी नहीं क़ी हर बातपर,
तुम मेरा क़हा मानों...
दहलीज़ पर रख़ दी हैं चाहत,
आग़े तुम ज़ानो.......

9745
नादांन हैं बहुत वो,
ज़रा समझाइए उसे...
बात क़रनेसे,
मोहब्बत क़म नहीं होती...