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सीनेमें ज़ो दब ग़ए हैं,
वो ज़ज़्बात क़्या क़हें...
ख़ुद हीं समझ लिज़िये,
हर बात क़्या क़हें.......
8277फ़क़त ज़ज़्बातक़ो,हलचल न देना ;ख़ुशी देना तो,पल दो पल न देना llक़ेवल कृष्ण रशी
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प्यार महज़ एक़ खेल हैं,
उसक़े लिए,
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
दिलसे चाहा हीं नहीं हो...!
8279मिरा क़लम मिरे,ज़ज़्बात माँग़ने वाले...मुझे न माँग़,मिरा हाथ माँग़ने वाले...ज़फ़र गोरख़पुरी
8280
मोहोब्बतमें तेरे,
इतने ज़ज़्बाती हो ग़ए...
तुझे सँवारनेक़े चक्क़रमें,
बर्बाद हीं हो ग़ए.......