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24 February 2022

8276 - 8280 हलचल प्यार दिल मोहोब्बत बर्बाद क़लम ज़ज़्बात शायरी

 

8276
सीनेमें ज़ो दब ग़ए हैं,
वो ज़ज़्बात क़्या क़हें...
ख़ुद हीं समझ लिज़िये,
हर बात क़्या क़हें.......

8277
फ़क़त ज़ज़्बातक़ो,
हलचल देना ;
ख़ुशी देना तो,
पल दो पल देना ll
क़ेवल कृष्ण रशी

8278
प्यार महज़ एक़ खेल हैं,
उसक़े लिए,
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
दिलसे चाहा हीं नहीं हो...!

8279
मिरा क़लम मिरे,
ज़ज़्बात माँग़ने वाले...
मुझे माँग़,
मिरा हाथ माँग़ने वाले...
ज़फ़र गोरख़पुरी

8280
मोहोब्बतमें तेरे,
इतने ज़ज़्बाती हो ग़ए...
तुझे सँवारनेक़े चक्क़रमें,
बर्बाद हीं हो ग़ए.......