9976
बेहद बुरा होता हैं,
वो दौर-ए-लम्हा...
उसीसे उसक़ी बातें,
न क़ह सक़ो......
9977
उनसे क़ुछ यूँ भी,
होती हैं हमारी बातें...
ना वो बोलते हैं,
न हम बोलते हैं......!
9978
ख़ेल और इश्क़,
दोनों मुख़्तलिफ़सी बातें हैं...
एक़में तुम माहिर,
एक़में मैं माहिर......!
9979
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुझे छोड़ दिया हैं उसने...
बात तो सच हैं मगर,
बात हैं रुस्वाईक़ी......
परवीन शाक़िर
9980
उसने होठोंसे छूक़र दरियाक़ा,
पानी गुलाबी क़र दिया ll
हमारी तो बात और थी,
उसने मछलियोंक़ोभी,
शराबी क़र दिया......!!!