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8 September 2022

9101 - 9105 ख़िलौना बर्बाद बुराई मायूस शौक़ पैग़ाम वास्ते शायरी

 

9101
मैं अपने बचपनेमें,
छू पाया ज़िन ख़िलौनोंक़ो...
उन्हीक़े वास्ते अब मेरा,
बेटा भी मचलता हैं.......
                          तनवीर सिप्रा

9102
मैं सबक़े वास्ते,
अच्छा था लेक़िन...
उसीक़े वास्ते,
अच्छा नहीं था.......
क़ौसर मज़हरी

9103
वो क़ह रहा था,
बुराई बुराई ज़न्ती हैं l
सो उसक़े वास्ते,
लेक़र क़ँवल ग़या हूँ मैं ll
         सय्यद ज़ामिन अब्बास क़ाज़मी

9104
मिरे मायूस रहनेपर,
अग़र वो शादमाँ हैं...
तो क़्यूँ ख़ुदक़ो मैं,
उसक़े वास्ते बर्बाद क़र दूँ...?
ग़ुलाम हुसैन साज़िद

9105
मेरी अर्ज़--शौक़,
बेमानी हैं उनक़े वास्ते...
उनक़ी ख़ामोशी भी इक़,
पैग़ाम हैं मेरे लिए.......
               मुईन अहसन ज़ज़्बी