Showing posts with label ग़र्मी बहिश्त ख़िज़ाँ सहारा रहग़ुज़ार चमन उज़ाला आँख़ शिक़स्ता वास्ते शायरी. Show all posts
Showing posts with label ग़र्मी बहिश्त ख़िज़ाँ सहारा रहग़ुज़ार चमन उज़ाला आँख़ शिक़स्ता वास्ते शायरी. Show all posts

25 September 2022

9181 - 9185 ग़र्मी बहिश्त ख़िज़ाँ सहारा रहग़ुज़ार चमन उज़ाला आँख़ शिक़स्ता वास्ते शायरी

 

9181
ग़र्मीमें तेरे,
क़ूचा-नशीनोंक़े वास्ते...
पंख़े हैं क़ुदसियोंक़े,
परोंक़े बहिश्तमें.......!
               मुनीर शिक़ोहाबादी

9182
हवाक़े ख़ेलमें,
शिरक़तक़े वास्ते मुझक़ो...
ख़िज़ाँने शाख़से फेंक़ा हैं,
रहग़ुज़ारक़े बीच.......
एज़ाज़ ग़ुल

9183
साहिलपें क़ैद,
लाखों सफ़ीनोंक़े वास्ते...
मेरी शिक़स्ता नाव हैं,
तूफ़ाँ लिए हुए.......
                     सालिक़ लख़नवी

9184
ज़ानेक़ो ज़ाए फ़स्ल--ग़ुल,
आनेक़ो आए हर बरस...
हम ग़म-ज़दोंक़े वास्ते,
जैसे चमन वैसे क़फ़स.......
नूह नारवी

9185
हर सहारा,
बेअमलक़े वास्ते बेक़ार हैं l
आँख़ ही खोले ज़ब क़ोई,
उज़ाला क़्या क़रे...?
                             हफ़ीज़ मेरठी