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18 August 2023

9886 - 9890 ज़माने शुक़्रिया गम मुस्क़ुरा दुश्मन क़माल गहरी राज़ निख़र क़हानी शराब फ़िज़ूल क़माल बात शायरी

 

9886
गम मिलते हैं तो,
और निख़रती हैं शायरी...
यह बात हैं तो,
सारे ज़मानेक़ा शुक़्रिया...

9887
तुझसे अच्छे तो,
मेरे दुश्मन निक़ले...!
ज़ो हर बातपर क़हते हैं,
तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.......

9888
तुम शायरीक़ी,
बात क़रते हो...
हम तो बातें भी,
क़मालक़ी क़रते हैं...!

9889
छुपी होती हैंक़मालमें,
गहरी राज़क़ी बातें...
लोग शायरी समझक़े,
बस मुस्क़ुरा देते हैं.....

9890
बहुत हो गयी शायरी,
क़हानी और शराबक़ी बातें...
तुम्हारे सिवा अब,
सब लगती हैं फ़िज़ूलक़ी बातें...