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12 August 2017

1646 - 1650 ज़िन्दगी परछाई मुद्दत आँख़े ख्वाब ख़्वाहिश रूह रंगत लम्हा वादे अजीब चीज शायरी


1646
छुआ था मुद्दतों पहले,
उनकी परछाईने एक पल,
हमारी रूह--रंगत,
अभी तक जाफ़रानी हैं...!
 
1647
मेरी ज़िंदग़ी तेरे साथ,
शुरू तो नहीं हुई l
पर ख़्वाहिश हैं,
ख़त्म तेरे साथ हीं हो ll
 
1648
मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखोंको एक ख्वाब दिखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यारमें जीना सिखाया आपने l
 
1649
ज़िन्दगीमें बहुत ऐसे लोग होते हैं ,
जो ... वादे तो नही करते,
लेकिन...
सब कुछ निभा जाते हैं !!!
 
1650
पानी भी क्या अजीब चीज हैं...
नजर उन आँखोमें आता हैं,
जिनके खेत सुखे हैं.......