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12 October 2016

618 ज़िन्दगी छीन काश नासमझ समझदारी शायरी


618

Samazdari, Rationality

काश नासमझीमें ही,
बीत जाए... ये ज़िन्दगी...
समझदारीने तो,
बहुत कुछ छीन लिया...!

Let the Life... Passes...
Senselessly 
Everything is snatched in
Rationality...!