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25 October 2020

6681 - 6685 ज़िन्दगी नज़रें उजाला नाम फरिश्ते खुश ख़्याल बेख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6681
किसीको खुश रखनेका,
मौका मिले तो छोड़िये मत...
फरिश्ते होते हैं वह लोग जो,
दूसरोंकी खुशीका ख़्याल रखते हैं...!

6682
जरूरी नहीं की,
कामसे ही इन्सान थक जाए...
कुछ ख़्यालोंका बोझ भी,
इन्सानको थका देता हैं...

6683
खोजते फिरोगे नाम, पता,
अंधेरो और उजालोमें...
अगर मिलेंगे भी तो बस,
कभी ख़्यालोमें कभी सवालोमें...

6684
नज़रें मिली,
तो बेख़्याल हो गए... 
नज़रें झुकी,
तो सवाल हो गए...
 
6685
शमशानकी राख देख,
मनमें एक ख़्याल आया कि...
सिर्फ राख होने के लिए,
हर इंसान ज़िन्दगीमें,
दुसरेसे कितनी बार जलता हैं...