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21 July 2016

415 अक्सर देख रूठ दूर छोड़ मुड़ चल साथ शायरी


415

Saath, Accompany

छोड़ दो मुड़कर देखना उन्हे,
जो दूर जाया करते हैं,
जिनको साथ नहीं चलना,
वो अक्सर रूठ जाया करते हैं...

Leave Looking Back for those,
Who are going Far Away,
The one not accompanying,
Are often Agitated...

414 अक्सर देख रूठ दूर छोड़ मुड़ चल साथ शायरी


414

Takalif, Uneasiness

मौत सिर्फ नामसे बदनाम हैं...
वरना तकलीफ तो,
जिन्दगी हीं ज्यादा देती हैं......

Death is Disgraced by name only...
Otherwise Uneasiness,
Is more is offered with Life only......