4511
एक अजनबीसे मुझे
इतना प्यार क्योंहै,
इंकार करनेपर
चाहतका इकरार
क्यों हैं l
उसे पाना मेरी
तकदीरमें नही
शायद,
फिर हर मोड़पे उसीका
इंतज़ार क्यों हैं... ll
4512
सिलसिला
ये चाहतका,
दोनो तरफसे
था...
वो मेरी जान
चाहती थी,
और मैं जानसे ज्यादा उसे...!
4513
माना क़ि अनमोल हैं,
हसरत-ए-नायाब हैं आप...
हम भी वो लोग़ हैं ज़ो,
हर दहलीज़पर नहीं मिलते...!!!
4514
बारिशकी बूँदोंमें झलकती हैं,
तस्वीर उनकी...
और
हम उनसे मिलनेंकी,
चाहतमें
भीग जाते हैं.......!
4515
ना जाने क्यूँ
तुझे,
देखनेके
बाद भी...
तुझे ही देखनेकी,
चाहत रहती
हैं.......!