20 July 2019

4511 - 4515 अजनबी इंतजार प्यार सिलसिला जान तकदीर बात दहलीज़ तस्वीर चाहत शायरी


4511
एक अजनबीसे मुझे इतना प्यार क्योंहै,
इंकार करनेपर चाहतका इकरार क्यों हैं l
उसे पाना मेरी तकदीरमें नही शायद,
फिर हर मोड़पे उसीका इंतज़ार क्यों हैं... ll

4512
सिलसिला ये चाहतका,
दोनो तरफसे था...
वो मेरी जान चाहती थी,
और मैं जानसे ज्यादा उसे...!

4513
ज़रूरी नहीं की हर बातपर,
तुम मेरा कहा मानों...
दहलीज़पर रख दी हैं चाहत,
आगे तुम जानो.......!

4514
बारिशकी बूँदोंमें झलकती हैं,
तस्वीर उनकी...
और हम उनसे मिलनेंकी,
चाहतमें भीग जाते हैं.......!

4515
ना जाने क्यूँ तुझे,
देखनेके बाद भी...
तुझे ही देखनेकी,
चाहत रहती हैं.......!

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