10 July 2019

4471 - 4475 दिल आह इंसान दौलत लाजवाब जिंदगी रोशनी गुजारिश रोशनी दर्द शायरी


4471
सोचता था दर्दकी दौलतसे,
एक मैं ही मालामाल हूँ...!
देखा जो ग़ौरसे तो...
हर कोई रईस निकला.......!!!

4472
देखकर दर्द किसीका,
जो आह दिलसे निकल जाती हैं;
बस इतनीसी बात आदमीको,
इंसान बना जाती हैं.......!

4473
हर दिलके कुछ,
अपने दर्द होते हैं...
कुछके फ़ीके,
कुछके लाजवाब होते हैं...!

4474
दर्दसे दोस्ती हो गई यारो,
जिंदगी बेदर्द हो गई यारो 
क्या हुआ, जो जल गया आशियाना हमारा,
दूर तक रोशनी तो हो गई यारो 

4475
लोग चुराने लगे हैं मेरी शायरी...
गुजारिश हैं,
कभी दर्द भी चुरा लो.......

No comments:

Post a Comment