29 July 2019

4541 - 4545 बादल जुल्फें चेहरे किरदार दाग रोशनी तारा फर्क मुकद्दर तन्हा चाँद शायरीहैं


4541
लो छिप गया,
चाँद बादलोंमें...
जरूर जुल्फें,
उनके चेहरेपर आयी होंगी...!

4542
चलो,
चाँदका किरदार अपना लेते हैं;
दाग अपने पास रखे,
और रोशनी बाँट दते हैं.......!

4543
मुझको ज़रासे चाँदने,
इतना सिखा दिया...
जो देगा रौशनी,
उसे ज़िंदा कहेंगे सब...!

4544
आज टूटा एक तारा देखा,
बिलकुल मेरे जैसा था l
चाँदको कोई फर्क नहीं पड़ा,
बिलकुल तेरे जैसा था.......ll

4545
मेरा और उस चाँदका,
मुकद्दर एक जैसा हैं...
वो तारोंमें तन्हा हैं,
और मैं हजारोंमें तन्हा...

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