17 July 2019

4496 - 4500 शिकायत लफ्ज याद ज़ुल्फ़ मुश्किल फैसले किस्मत शायरी


4496
मान लेते हैं कि,
किस्मतमें लिखे फैसले...
बदला नहीं करते,
लेकिन,
आप फैसले तो लीजिये,
क्या पता,
किस्मत ही बदल जाए...

4497
मैं शिकायत क्यूँ करू,
 ये तो किस्मत की बात हैं...
तेरी सोचमे भी नही मैं,
मुझे लफ्ज लफ्ज तू याद हैं...

4498
तेरी ज़ुल्फ़ क्या संवारी,
मेरी किस्मत निखर गयी...
उलझने तमाम मेरी,
 दो लटमें संवर गयी.......!

4499
बड़ा मुश्किल काम दे दिया,
किस्मतने मुझको 
कहती हैं तुम तो सबके हो गए,
अब ढूंढो उनको जो तुम्हारे हैं

4500
बहुत अकेला कर दिया हैं,
मेरे अपनोने मुझे...
समझ नहीं आता कि मैं,
बुरा हूँ या मेरी किस्मत...

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