22 July 2019

4516 - 4520 दिल ज़ख़्म चाहत इंतजार प्यार मुहब्बत मदहोश नजर इश्क आँखें हरजाई शायरी


4516
ज़ख़्म कितने तेरी चाहतसे,
मिले हैं मुझको...
सोचता हूँ के कहूँ तुझसे,
मगर जाने दे.......!

4517
मजा तो हमने इंतजारमें देखा हैं,
चाहतका असर प्यारमें देखा हैं;
लोग ढूंढ़ते हैं जिसे मंदिर मस्जिदमें,
उस खुदाको मैने आपमें देखा हैं...!

4518
मेरी एक चाहत हैं कि,
एक चाहने वाला ऐसा हो...
जो चाहनेमें,
बिलकुल मेरे जैसा हो.......!

4519
चाहतका क्या,
किसीको भी चाह ले...
मसला मुहब्बतका हैं,
सिर्फ एकसे होती हैं...!

4520
मदहोश नजरोमें,
इश्ककी चाहत उभर आई हैं !
मुहब्बतको छुपालूँ दिलमें,
आँखें तो हरजाई हैं !!!

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