9 July 2019

4466 - 4470 इश्क़ मुहोब्बत कर्ज रफू गलतियाँ माफ़ी गम साथ दवाई यार दर्द शायरी


4466
-वसीयतें-इश्क़,
हम ही पर कर्ज क्यों...?
वो भी दर्द--किश्त अदा करे,
मुहोब्बत उसे भी तो थी.......!

4467
दर्दको रफू करना तो,
सीख गए थे...
बस अब धागे ही,
खतम हो गए.......

4468
वो गलतियाँ तब,
सबसे ज्यादा दर्द देती हैं...
जब उनकी माफ़ी मांगनेका समय,
निकल जाता हैं.......

4469
गमकी परछाईयाँ,
यारकी रुसवाईयाँ;
वाह रे इश्क़...
तेरा ही दर्द और...
तेरी ही दवाईयाँ.......!

4470
दर्द बनकर ही,
रह जाओ हमारे साथ...
सुना हैं दर्द बहुत देरतक,
साथ रहता हैं.......!

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