4446
बेदर्द दुनियामें अभी
जीना सीख रहा
हूँ,
अभी तो
मैं दुखोंके
जाम पीना सीख
रहा हूँ...
कोशिश करूंगा तुम्हे मैं
भी भुलानेकी,
अभी तो मैं
तेरे झूठे वादोंको भुलाना सीख
रहा हूँ...
4447
दर्द देकर
इश्क़ने हमे
रुला दिया,
जिसपर मरते
थे उसने ही
हमे भुला दिया;
हम तो उनकी
यादोंमें ही
जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादोंमें ही ज़हर
मिला दिया...
4448
बहुत जुदा हैं औरोसे,
मेरे दर्दकी
कहानी...
जख्मका कोई
निशां नहीं,
और दर्दकी
कोई इंतहा नहीं...!
4449
दर्द सबके एक
मगर...
हौसले सबके अलग अलग हैं;
कोई बिखरके
मुस्कुराया तो,
कोई मुस्कुराके बिखर
गया...
4450
नियम निभाना तो कोई,
इश्क़से सीखे...
ये कल भी
दर्द देता था,
ये आज
भी दर्द देता
हैं.......
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