23 July 2019

4521 - 4525 मुहब्बत मुद्दत ख्वाहिश दीदार खबर चाहत इबादत याद इरादा बेबसी वक्त शायरी


4521
मुद्दतसे थी,
किसीसे मिलनेकी चाहत;
ख्वाहिशें दीदारमें,
सब कुछ गवा दिया...

4522
किसीने दी खबर की,
वो आएंगे रातको...
इतना किया उजाला की,
घर तक जला दिया...

4523
खोनेकी दहशत और,
पानेकी चाहत होती... 
तो ना ख़ुदा होता कोई,
और इबादत होती...!

4524
लाख चाहता हूँ कि,
तुझे याद ना करूँ...
मगर इरादा अपनी जगह...!
बेबसी अपनी जगह.......!!!

4525
सिर्फ वक्त ही गुजारना हो तो,
किसी औरको आजमा लेना;
हम तो चाहत और मुहब्बत दोनों,
इबादतकी तरह करते हैं.......!

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