4471
सोचता था दर्दकी दौलतसे,
एक मैं ही
मालामाल हूँ...!
देखा जो ग़ौरसे तो...
हर कोई रईस
निकला.......!!!
4472
देखकर दर्द किसीका,
जो आह
दिलसे निकल
जाती हैं;
बस इतनीसी
बात आदमीको,
इंसान बना जाती
हैं.......!
4473
हर दिलके
कुछ,
अपने दर्द
होते हैं...
कुछके फ़ीके,
कुछके लाजवाब
होते हैं...!
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दर्दसे दोस्ती
हो गई यारो,
जिंदगी बेदर्द हो गई
यारो ।
क्या हुआ, जो
जल गया आशियाना
हमारा,
दूर तक रोशनी
तो हो गई
यारो ।।
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लोग चुराने लगे हैं मेरी शायरी...
गुजारिश
हैं,
कभी दर्द
भी चुरा लो.......