10026
अपनी तस्वीर बनाओग़े तो होग़ा एहसास...
क़ितना दुश्वार हैं ख़ुदक़ो क़ोई चेहरा देना ll
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ख़ुर्शीदक़ी निग़ाहसे शबनमक़ो आस क़्या ?
तस्वीर-ए-रोज़ग़ारसे दिल हैं उदास क़्या......
हसन नईम
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उसने तारीफ़ हीं क़ुछ इस अंदाज़से क़ी मेरी,
अपनी हीं तस्वीरक़ो सौ बार देख़ा मैने !
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ख़ुद मिरी आँख़ोंसे ओझल मेरी हस्ती हो ग़ई.
आईना तो साफ़ हैं तस्वीर धुँदली हो ग़ई।
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदनमें हड्डियाँ...
रूह भी शायद मिरी अब मुझसे बाग़ी हो ग़ई।।
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दिल आबाद क़हाँ रह पाए,
उसक़ी याद भुला देनेसे...
क़मरा वीराँ हो ज़ाता हैं,
इक़ तस्वीर हटा देनेसे...
ज़लील आली