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आह क़रता हूँ तो,
आती हैं पलटक़र ये सदा...
आशिक़ोंक़े वास्ते,
बाब-ए-असर ख़ुलता नहीं...
सेहर इश्क़ाबादी
9177इक़ दमक़े वास्ते,न क़िया क़्या क़्या ऐ रज़ा ;देख़ा छुपाया,तोड़ा बनाया क़हा सुना llरज़ा अज़ीमाबादी
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आँख़ें ख़ुदाने बख़्शी हैं,
रोनेक़े वास्ते...
दो क़श्तियाँ मिली हैं,
डुबोनेक़े वास्ते.......
मुनीर शिक़ोहाबादी
9179माँग़ो समुंदरोंसे,न साहिलक़ी भीक़ तुम ;हाँ फ़िक्र ओ फ़नक़े वास्ते,ग़हराई माँग़ लो llहसन नज़्मी सिक़न्दरपुरी
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रंज़ ओ अलमक़ा,
लुत्फ़ उठानेक़े वास्ते...
राहतसे भी निबाह,
क़िए ज़ा रहा हूँ मैं.......
ज़ग़दीश सहाय सक्सेना