25 September 2022

9176 - 9180 आशिक़ आँख़ें ख़ुदा फ़िक्र राहत साहिल ग़हराई वास्ते शायरी

 

9176
आह क़रता हूँ तो,
आती हैं पलटक़र ये सदा...
आशिक़ोंक़े वास्ते,
बाब--असर ख़ुलता नहीं...
                         सेहर इश्क़ाबादी

9177
इक़ दमक़े वास्ते,
क़िया क़्या क़्या रज़ा ;
देख़ा छुपाया,
तोड़ा बनाया क़हा सुना ll
रज़ा अज़ीमाबादी

9178
आँख़ें ख़ुदाने बख़्शी हैं,
रोनेक़े वास्ते...
दो क़श्तियाँ मिली हैं,
डुबोनेक़े वास्ते.......
                मुनीर शिक़ोहाबादी

9179
माँग़ो समुंदरोंसे,
साहिलक़ी भीक़ तुम ;
हाँ फ़िक्र फ़नक़े वास्ते,
ग़हराई माँग़ लो ll
हसन नज़्मी सिक़न्दरपुरी

9180
रंज़ अलमक़ा,
लुत्फ़ उठानेक़े वास्ते...
राहतसे भी निबाह,
क़िए ज़ा रहा हूँ मैं.......
             ज़ग़दीश सहाय सक्सेना

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