9141
ज़ालिम ख़ुदाक़े वास्ते,
बैठा तो रह ज़रा...
हाथ अपनेक़ो न क़र तू,
ज़ुदा मेरे हाथसे.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
9142ख़ुदाक़े वास्ते,इसक़ो न टोक़ो...यहीं इक़ शहरमें,क़ातिल रहा हैं.......!मज़हर मिर्ज़ा ज़ान-ए-ज़ानाँ
9143
मोमिन ख़ुदाक़े वास्ते,
ऐसा मक़ाँ न छोड़...
दोज़ख़में डाल ख़ुल्दक़ो,
क़ू-ए-बुताँ न छोड़.......
मोमिन ख़ाँ मोमिन
9144माज़िद ख़ुदाक़े वास्ते,क़ुछ देर क़े लिए...रो लेने दे अक़ेला मुझे,अपने हालपर.......हुसैन माज़िद
9145
दिलोंमें ग़ब्र-ओ-मुसलमाँ,
ज़रा ख़्याल क़रें ;
ख़ुदाक़े वास्ते,
क़िस्सेक़ा इंफ़िसाल क़रें ll
वज़ीर अली सबा लख़नवी
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