16 September 2022

9141 - 9145 क़ातिल क़िस्से मक़ाँ ज़ालिम ज़ुदा ख़ुदा ख़्याल वास्ते शायरी

 

9141
ज़ालिम ख़ुदाक़े वास्ते,
बैठा तो रह ज़रा...
हाथ अपनेक़ो क़र तू,
ज़ुदा मेरे हाथसे.......
                 मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

9142
ख़ुदाक़े वास्ते,
इसक़ो टोक़ो...
यहीं इक़ शहरमें,
क़ातिल रहा हैं.......!
मज़हर मिर्ज़ा ज़ान--ज़ानाँ

9143
मोमिन ख़ुदाक़े वास्ते,
ऐसा मक़ाँ छोड़...
दोज़ख़में डाल ख़ुल्दक़ो,
क़ू--बुताँ छोड़.......
                   मोमिन ख़ाँ मोमिन

9144
माज़िद ख़ुदाक़े वास्ते,
क़ुछ देर क़े लिए...
रो लेने दे अक़ेला मुझे,
अपने हालपर.......
हुसैन माज़िद

9145
दिलोंमें ग़ब्र--मुसलमाँ,
ज़रा ख़्याल क़रें ;
ख़ुदाक़े वास्ते,
क़िस्सेक़ा इंफ़िसाल क़रें ll
             वज़ीर अली सबा लख़नवी

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