13 September 2022

9126 - 9130 बरस दिल पैग़ाम चाँदनी लुत्फ़ इंसान वास्ते शायरी

 

9126
ज़िसक़े वास्ते बरसों,
सई--राएग़ाँ क़ी हैं...
अब उसे भुलानेक़ी,
सई--राएग़ाँ क़र लें...
          हबीब अहमद सिद्दीक़ी

9127
तस्लीम हैं,
सआदत-ए-होश-ओ-ख़िरद...
मग़र ज़ीनेक़े वास्ते,
दिल-ए-नादाँ भी चाहिए...
हबीब अहमद सिद्दीक़ी

9128
अहल--दिलक़े वास्ते,
पैग़ाम होक़र रह ग़ई l
ज़िंदग़ी मज़बूरियोंक़ा,
नाम होक़र रह ग़ई ll
             ग़णेश बिहारी तर्ज़

9129
अफ़्सुर्दा-दिलक़े वास्ते,
क़्या चाँदनीक़ा लुत्फ़...
लिपटा पड़ा हैं,
मुर्दासा ग़ोया क़फ़नक़े साथ...
क़द्र बिलग्रामी

9130
दर्द--दिलक़े वास्ते,
पैदा क़िया इंसानक़ो ;
वर्ना ताअतक़े लिए,
क़ुछ क़म थे क़र्र--बयाँ ll
                          ख़्वाज़ा मीर दर्द

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