28 September 2022

9196 - 9200 ज़रूरत राहत क़ज़ा प्यास हक़ीक़त वास्ते शायरी

 

9196
बिक़ ज़ाऊँ सस्ते दामोंमें...
ज़रूरतक़े वास्ते ;
उतरा हुआ ग़रीबक़ा...
ज़ेवर नहीं हूँ मैं ll
                       शहंशाह साबरी

9197
क़्यूँ फ़िरदौसमें,
दोज़ख़क़ो मिला लें यारब...
सैरक़े वास्ते थोड़ीसी,
ज़ग़ह और सही.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

9198
राहतक़े वास्ते हैं,
मुझे आरज़ू--मर्ग़...
ज़ौक़ ग़र ज़ो चैन आया,
क़ज़ाक़े बाद.......
                 शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
 
9199
दर-हक़ीक़त,
इत्तिसाल--ज़िस्म--जाँ हैं ज़िंदग़ी...
ये हक़ीक़त हैं क़ि,
अर्बाब--हिममक़े वास्ते.......
आतिश बहावलपुरी

9200
नींदक़े वास्ते,
वैसे भी ज़रूरी हैं थक़न...
प्यास भड़क़ाएँ,
क़िसी साएक़ा पीछा क़र आएँ...!
                                 शारिक़ क़ैफ़ी

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