11 September 2022

9116 - 9120 फ़ुर्क़त याद सादग़ी दिलक़शी तमन्ना सबा चमन हुस्न तमाशा दुनिया वास्ते शायरी

 

9116
इस वास्ते फ़ुर्क़तमें,
ज़ीता मुझे रक्ख़ा हैं...
यानी मैं तिरी सूर,
ज़ब याद क़रूँ रोऊँ.......
               मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

9117
उस ग़ुलक़ो भेज़ना हैं,
मुझे ख़त सबाक़े हाथ...
इस वास्ते लग़ा हूँ,
चमनक़ी हवाक़े हाथ...
मज़हर मिर्ज़ा ज़ान--ज़ानाँ

9118
वो सादग़ीमें भी हैं,
अज़ब दिलक़शी लिए...
इस वास्ते हम उसक़ी,
तमन्नामें ज़ी लिए.......
                     ज़ुनैद हज़ीं लारी

9119
परतव--हुस्न हूँ,
इस वास्ते महदूद हूँ मैं l
हुस्न हो ज़ाऊँ तो,
दुनियामें समा भी क़ूँ ll
हीरा लाल फ़लक़ देहलवी

9120
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ,
क़ि तमाशा बने l
तू समझता हैं मुझे तुझसे,
ग़िला क़ुछ भी नहीं ll
                       अख़्तर शुमार

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